Thursday, July 8, 2010

पार्टी नहीं खुद का दम भी चलता है

भोपाल.बार-बार ये बात सामने आती है की पार्टी बड़ी है या फिर व्यक्ति. लेकिन एक बार ये बात साबित हो गई की व्यक्ति का अपना कद होता है. आंध्र प्रदेश से कांग्रेस सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के बेटे जगनमोहन रे़ड्डी ने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ बगावत का झंडा उठा कर ye बात साबित कर दी. जिस प्रकार उनको जनता का समर्थन मिला है वह काबिले गौर है. हालाँकि इसमें एक दर ये भी है की कही जगमोहन का हश्र उमा भारती के जैसा न हो जाए. खैर कल के बारे में किसने सोचा है. जगमोहन ने सोनिया गांधी के मना करने के बावजूद अपने पूर्व तय कार्यक्रम के मुताबिक ही आठ जुलाई से श्रीकाकुलम से अपनी उदार्पू (दिलासा यात्रा) शुरू करने का फैसला किया है। जगनमोहन ने जनता के नाम सोमवार को लिखे अपने खुले पत्र में कहा है कि वह हर सूरत में . अपनी यात्रा शुरू करेंगे। उनका कहना है कि उसी दिन के पिता वाईएसआर का जन्मदिन है इसलिए यात्रा शुरू करने के लिए इससे अच्छा कोई और दिन नहीं हो सकता। जगन की इस यात्रा का जाहिर तौर पर उद्देश्य यह है कि वह उन परिवारों को दिलासा देना चाहते हैं जिनके सदस्यों की वाईएसआर की मौत की खबर सुनकर सदमे के कारण मौत हो गई थी अथवा उन्होंने कथित तौर पर खुदकुशी कर ली थी।
इस यात्रा ने मार्च के महीने में उस समय एक विवादास्पद मो़ड़ ले लिया था जब जगन ने तेलंगाना में अपनी यात्रा ले जाने की कोशिश की और तेलंगाना राज्य के समर्थकों ने उसे रोका। इससे हिंसा भ़डक उठी और पुलिस ने जगन को गिरफ्तार कर लिया। उसकोलेकर जगन और कांग्रेस आलाकमान के बीच काफी क़डवाहट बढ़ गई। आखिर जगन को अपनी यात्रा स्थगित करनी प़डी, क्योंकि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जगन को यात्रा की अनुमति नहीं दी।
खुद जगन ने अब जनता के नाम अपने खुले पत्र में कहा है कि गत महीने उन्होंने उनकी मां और छोटी बहन के साथ सोनिया गांधी से भेंटकर स्पष्ट किया था कि उनकी यह यात्रा क्यों जरूरी है, लेकिन इसके बाद भी सोनिया यात्रा के पक्ष में दिखाई नहीं दी। जगन ने कहा कि वह एक महान नेता के बेटे होने के रूप में अपना कर्तव्य निभाना चाहते हैं और अपने पिता की मौत के स्थान पर उन्होंने जनता से जो वादा किया था, उसे निभाना चाहते हैं, क्योंकि उनके पिता ने उन्हें केवल अपनी रक्ता ही नहीं बल्कि स्वभाव भी दिया है। चुनौती देने वाले अंदाज में जगन ने आगे कहा है कि उनके लिए यह ज्यादा महत्वपूर्ण बात नहीं है कि वह कितना लंबा जीते हैं बल्कि यह बात अहम है कि वह किस अंदाज में जीते हैं। उन्होंने जनता को आश्वासन देते हुए कहा है कि वह ओदर्यू यात्रा निकालने और हर दुखी परिवार को दिलासा देने का जो वादा किया है, उसे जरूर पूरा करेंगे। अपने सोनिया गांधी से मतभेदों के बारे में जगन कहते हैं कि पिछली भेंट में सोनिया गांधी ने उनसे कहा था कि वह यात्रा निकालने के बजाए सारे दुखी परिवारों को एक जगह बुलाएं और उन्हें कुछ आर्थिक सहायता दें। इस पर उनकी मां विजयलक्ष्मी ने सोनिया गांधी से कहा कि यह बात अच्छी परंपराओं के विरूद्ध होगी। उन्होंने सोनिया गांधी को यह भी याद दिलाया कि जब उनके पति (वाईएसआर) का निधन हो गया था तो सोनिया ने दिल्ली से हैदराबाद आकर उनके परिवार को दिलासा दी थी, न कि परिवार को दिल्ली बुलाया था। दूसरी ओर इस यात्रा से पहले ही आंध्र प्रदेश में कांग्रेस दो गुटों में बंट गई है। मुख्यमंत्री रौसय्या के समर्थक जगनमोहन रेड्डी का विरोध कर रहे हैं और जगन के समर्थक मुख्यमंत्री को निशाना बना रहे हैं। वाईएसआर का जन्मदिन भी टकराव का कारण बन गया है।
जगन चाहते हैं कि सभी विधायक और मंत्री श्रीकाकुलम में उनके कार्यक्रम में आकर उनके पिता को श्रद्धांजलि दें जबकि ऎसी किसी कोशिश को विफल करने के लिए सरकार ने उस रोज विधानसभा का सत्र बुला लिया है और कहा है कि वाईएसआर का जन्मदिन समारोह हैदराबाद में ही मनाया जाएगा। गौरतलब है कि गत सितंबर में उनके पिता की मौत के बाद करीब सभी विधायकों ने जगन को नया मुख्यमंत्री बनाने की मांग की थी और कई मंत्रियों ने भी इसका समर्थन किया था, मगर आलाकमान ने इसे खारिज करते हुए रौसय्या को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया था। अब देखना यह है कि सोनिया गांधी से सीधी टक्कर में कितने मंत्री और विधायक जगनमोहन रेड्डी का साथ देते हैं

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