आखिरकार
पांच राज्यों के चुनाव संपन्न हो गए और परिणाम सामने है। लेकिन इस पूरे
चुनाव में परिणाम के बाद जितनी चर्चा अम्मा (जयललिता) और दीदी (ममता
बनर्जी) की जीत की नहीं हुई, उतनी कांग्रेस मुक्त भारत की हुई। हो भी क्यों
न, आखिर देश की सबसे बड़ी पार्टी इस समय देश की सबसे छोटी पार्टी बनने की
कगार पर पहुंच गई है। एक समाचार पत्र ने आंकलन किया है कि कांग्रेस अब देश
के बीस प्रतिशत हिस्से में ही बची है। अब सवाल यह उठ रहे हैं कि कांग्रेस
मुक्त भारत का सपना पूरा करने में भाजपा की मदद जनता कर रही है या फिर
कांग्रेस स्वयं अपने कर्मो से इस हाल में पहुंच गई है। बहुत सारी बातें हो
रही है चुनाव जीतने व हारने को लेकर और मैं इतना अनुभवी भी नहीं कि कोई ठोस
कारण बता पाऊं। लेकिन एक बात जो मुझे समझ में आई कि कांग्रेस का हाल
कुछ-कुछ नोकिया जैसा हो गया। एक समय नोकिया बाजार में एकछत्र राज्य करता
था, लेकिन समय के साथ बदलाव नहीं किया यानि नए सिस्टम एंड्राइड को नहीं
अपनाया तो आज बाजार में कई पायदान नीचे है। जबकि भाजपा सेमसंग की भांति नए
फंडे अपनाकर आगे की तरफ बढ़ रही है। कमाल की बात तो यह है कि जिन राहुल
गांधी को पूरी दुनिया में पप्पू की उपमा से नवाजा जाने लगा है, उन्हें
सोनिया आंटी देश का प्रधानमंत्री बनाने का ख्वाब संजोए हुए है। खैर सपने
कोई भी देख सकता है। लेकिन सपनों को हकीकत समझ लेने में दिक्कत हो जाती है।
बहरहाल देश में नया खुमार छाया हुआ है और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का
सपना पूरा हो रहा है।
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