Sunday, December 28, 2014

ये शक्ति प्रदर्शन, ये फिजुलखर्ची क्यों ?

फोटो - सधन्यवाद, भास्कर डॉट कॉम से
अभी-अभी भास्कर डॉट कॉम पर पड़ा कि झारखंड में मुख्यमंत्री के शपथग्रहण समारोह में कुर्सियों के लिए धक्का-मुक्की हो गई है। यहां तक  कि मुख्यमंत्री की बहन अपनी कलाई चोटिल कर बैठी। यह तो होना ही था जब कोई मुख्यमंत्री अपने शपथ ग्रहण समारोह में शक्ति प्रदर्शन करेगा। सवाल यह है कि पल-पल के सीधे प्रसारण की व्यवस्था वाले समय में इस शक्ति प्रदर्शन की आवश्यकता क्या है? ईश्वर न करे यदि कुर्सियों की छीना-झपटी किसी अफवाह में बदल जाती तो बिहार की घटना दोहराई जा सकती थी। हाल ही में देखने में आ रहा है कि जितने भी राज्यों में भाजपा या अन्य किसी पार्टी की सरकार बन रही है वहां शपथ ग्रहण समारोह में जबरदस्त भीड़ बुलाई जाती है। फिर वही सवाल जेहन में आता है कि आखिर क्यों ये सब दिखावा। जब जनता ने आपको बहुमत में ला दिया और सरकार बन गई तो फिर यह सब दिखावा क्यों? आप ताकतवर हैं और आपके साथ लोग यह बात तो सभी ने स्वीकार कर ली है तो फिर अलग से इस आडंबर की जरूरत क्या है?  मेरे दादाजी स्वर्गीय रामप्रसाद मीणा जो कि एक स्वतंत्रता सेनानी थे के साथ एक शपथ ग्रहण समारोह में मैं भी गया हूं। मुझे अच्छे तरीके से याद है कि पहले मुख्यमंत्री की शपथ राजभवन के भीतर बड़े ही सलीके और गरिमामय कार्यक्रम में दिलाई जाती थी। एक-एक मेहमान को गर्व होता था उस समारोह में शामिल होने का। इसके बाद मप्र में भाजपा की सरकार बनी और आम जनता को समारोह में शामिल करने के नाम पर जमकर भीड़ जुटाई जाने लगी। इसके साथ इस पूरे कार्यक्रम में जो फिजुलखर्ची होती है वह उसका कोई हिसाब-किताब नहीं दिया जाता। करोड़ों रुपए यूं ही फूंक दिए जाते हैं। ये पैसा सरकारी होता है और लोगों से कर लेकर जमा किया जाता है।
शायद आप लोगों को याद होगा कि मप्र में इस समय वित्तीय संकट चल रहा है और केंद्र ने भी इस बार कम बजट दिया है। लेकिन यदि अभी किसी शक्ति प्रदर्शन वाले कार्यक्रम की बारी आएगी तो तंग हाथ खुल जाएंगे। भाजपा सुशासन और मितव्यतता की बात करती है और उम्मीद है झारखंड में इसका पालन होगा।
-भीमसिंह मीणा

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