विश्व पर्यावरण इतनी द्रुत गति के साथ क्षरित हो रहा है की आने वाले वर्षों में इस भयावह क्षरण को रोक पाना अत्यन्त कठिन होगा। विश्व के देशों में आबादी का बड़ी तेज़ी के साथ बड़ना भी प्रमुख कारण है। आबादी के बढने से पर्यावरण प्रदुषण बढता है एवं शान्ति व सुख चैन खतरे में पड़ जाते हैं। इसमे सर्वाधिक प्रभावित जैविक विविधता होती है। पेयजल के संसाधन बढती आबादी के घनत्व से प्रभावित होते हैं एवं उनमे छेड़छाड़ की प्रक्रिया से प्रदूषण बढता है।
Monday, October 28, 2013
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