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Showing posts from July, 2010

बिन सावन भारत सून

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भोपाल. भारत में त्योहारों और व्रत का बड़ा महत्व है. अगर व्रत, त्यौहार को ख़त्म कर दिया जाए तो भारत की पहचान पर खतरा हो जाएगा. इस कड़ी में सावन का महिना अति विशिष्ट महिना है और इसका अपना महत्व है. सावन माह में शिवभक्तों द्वारा की जाने वाली भगवान शिव की आराधना, पूजा, जयकारे और धार्मिक आयोजन ऐसा शिवमय वातावरण बना देते हैं कि उसके प्रभाव से ईश भक्ति से दूर रहने वाले लोगों के मन भी शिवभक्ति और श्रद्धा की लहर पैदा हो जाती है। इससे यही प्रश्र हर धर्मजन के मन में पैदा होता है कि आखिर श्रावण मास और शिव भक्ति का क्या संबंध है और इस मास में शिव उपासना का इतना अधिक महत्व क्यों है। इस बात का उत्तर हिन्दू धर्म ग्रंथ ऋग्वेद में बताया गया है। वेदों में प्रकृति और मानव का गहरा संबंध बताया गया है। वेदों में लिखें कुछ मंत्रों का संदेश कुछ इस प्रकार है - बारिश में ब्राह्मण वेद पाठ और धर्म ग्रंथों का अध्ययन करते हैं और इस दौरान वह ऐसे मंत्रों को पढ़ते हैं, जो सुख और शांति देने वाले होते हैं। बारिश के मौसम में अनेक तरह के जीव-जंतु बाहर निकल आते है और तरह-तरह की आवाजें सुनाई देती है। ऐसा लगता है कि जैसे लं...

पाकिस्तान के बारे में सही कहा था मनीष कोइराला ने

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भोपाल. जो एक बार गलती करे वो इन्सान, जो दो बार गलती करे वो हिंदुस्तान और जो गलती पर गलती करे वो पाकिस्तान. ये लाइन किसी फिल्म में मनीषा कोईराल ने बोली थी. फिल्म तो पिट गई लेकिन डाईलाग हिट हो गया, और होता भी क्यों नहीं आखिर मनीषा ने सच जो कहा था. ये बात आज पाकिस्तान ने एक बार फिर साबित कर दी है. कश्मीर मुद्दे को लेकर हमेशा से ही अड़ियल रवैया इख्तियार करने वाले पाकिस्तान ने अब एक बार फिर भारत से साफ़- साफ़ कहा है कि जब तक भारत-पाक वार्ता के एजेंडे में कश्मीर मुद्दा शामिल नहीं होता वह भारत से कोई बात नहीं करेगा।  पाक विदेश मंत्री महमूद कुरैशी ने कहा है कि भारत कश्मीर मुद्दे को ज्यादा तवज्जो नहीं देगा,तो हम बातचीत जारी नहीं रख पाएंगे। अमेरिका के सामने भी अलापा था राग कश्मीर भारत- पाक वार्ता के तत्काल बाद पाकिस्तान ने अमेरिका के सामने कश्मीर मुद्दा उठाया था। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अमेरिका की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिं...

फर्जी वाडा करो,फिर कमाओ और पकडे जाओ तो घर बैठकर खाओ

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भोपाल से... हमारे देश में दलालों और बेईमानो के लिए बहुत जगह है. अब पुरे देश का हिसाब तो अभी नहीं बताया जा सकता है, लेकिन भोपाल में हुए आज एक फैसले से कुच्छ तो दावा किया ही जा सकता है.  गुरूवार को मध्य प्रदेश शासन मैं कम करने वाले 17 अफसरों के जाती प्रमाण पात्र फर्जी पाए गए. अब सवाल ये उठता है की इनमे से कई के खिलाफ तो पहले भी जांच हो चुकी हैं और इन्ही अफसरों को बा-इज्ज़त बरी भी कर दिया गया था तो क्या वे जांच रिपोर्ट फर्जी थी और नहीं तो क्या गलत जांच करने के लिए उन अफसरों को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री उन्हें दण्डित करेंगे. धोखेबाज हैं ये 17 अफसर भोपाल. संदिग्ध जाति प्रमाण पत्रों की जांच करने सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बनी छानबीन समिति ने 15 अधिकारी-कर्मचारियों के अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र फर्जी पाए हैं। इनमें भारतीय वन सेवा के अफसर से लेकर राज्य पुलिस सेवा और मुख्य अभियंता स्तर के अधिकारी तक शामिल हैं। समिति ने पाया है कि न केवल नौकरी और पदोन्नति में बल्कि मेडिकल कॉलेज में दाखिले तक में गलत जाति प्रमाण पत्र से लाभ उठाया गया। अन्य पिछड़ा वर्ग और ब्राम्हण जाति के लोग भी इस फर्जीवा...

पूरा हुआ लक्ष्मण का बनवास

भोपाल से... एक लम्बे समय तक लक्ष्मण सिंह कांग्रेस से दूर रहे और आज बदजुबानी को बहाना बनाकर भाजपा ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. ये सभी के लिए एक सबक है, जिसमे साडी बातें सामने आ जाती हैं. दरअसल लक्ष्मण सिंह का मन तभी से पार्टी में नहीं लएजी रहा था जबसे भाजपा केंद्र के चुनाव हरी और उसके बाद में खुद लक्ष्मण सिंह अपने ही भाई की तरफ से खड़े किये गए गए प्यादे से हार गए. बदजुबानी तो पहले भी हुई है लेकिन निर्णय आज ही क्यों कर दिया गया. शायद लक्ष्मण सिंह भी यही चाहते थे क्योंकि वे व्ही अपनी अयोध्या से बहुत दिनों तक दूर नहीं रह सकते हैं. आख़िरकार बहाना कोई भी हो लेकिन आज लक्ष्मण का वन्बास तो पूरा हुआ.  (दैनिक भास्कर की खबर पड़ने के लिए किल्क करैं)   खबर आज की जिसमे है पूरा घटनाक्रम... भोपाल. कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के अनुज और पूर्व सांसद लक्ष्मण सिंह को प्रदेश भाजपा ने पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। नितिन गडकरी के खिलाफ बयानबाजी के चलते यह कार्रवाई हुई है। हाल ही में गडकरी ने दिग्विजय सिंह के बारे में कहा था कि आतंवादियों की तरफदारी करने वाले औरंगजेब की ...

जगह तो अच्छी है लेकिन क्या गारंटी है की सरकार फिल्मवालों को परेशान नहीं करेगी?

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भोपाल. जब भी कही कोई बड़ा बदलाव आता है तो सबसे पहले कुछ छोटी और फिर बड़ी घटनाएं हो जाती हैं. भोपाल के मामले में थोडा उल्टा रहा. इस शहर को पहचान दी एक हादसे ने जिसे न चाहते हुए भी याद करना पड़ता है. यानी गैस कांड. एक लम्बे अन्तराल के बाद एक फिर भोपाल में सुखद बयार बह रही है और वह है भोपाल और उसके आसपास हो रही फिल्मों की शूटिंग जिसने भोपाल को फिर एक नई पहचान देना शुरू कर दी है. अब सवाल एक ही है की क्या जिस तरीके से फिल्म की शूटिंग करने वालों को भोपाल लाने का मन बनाया है क्या उसी तरह इसको जारी भी रखा जाएगा. बहरहाल इस  सवाल का जवाब भले ही बाद में मिले लेकिन भोपाल में फिल्मों के लिए कितनी संभावनाए हैं ये जिक्र भास्कर न्यूज़ की वेबसाइट ने बहुत बेहतर ढंग से दिखाई हैं.   मिनी बॉलीवुड बनने को बेताब लेक सिटी भोपाल. झीलों की नगरी भोपाल जल्दी ही फिल्मों के लिए हब बनने जा रहा है। फिल्म इंस्डस्ट्री से लेकर मध्य प्रदेश की सरकार तक इस प्रयास में लगी है कि जल्द से जल्द भोपाल में एक ऐसी फिल्म सिटी का निर्माण हो जाए, जहां बॉलीवुड के लोग बिना किसी हिचक के फिल्मों का निर्माण कर सकें। इसके लिए भ...

जिम्मेदारी निभा लेते तो अनुराधा आज माँ बन जाती

भोपाल. सुना है की मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में एक महिला कैदी को पुलिस प्रसाशन की गलती के कारण अपना बछा खोना पड़ा और अब राज्य महिला आयोग उस महिला को इंसाफ दिलाने की तय्यारी शुरू कर चुकी है. यानी एक महिल फिर तैयार है महिला आयोग के डमरू पर नाचने के लिए. दरअसल जी हादसे के लिए जेल और पुलिस प्रसाशन को जिम्मेदार मन जा रहा है उसके लिए तो राज्य महिला आयोग और मानव अधिकार आयोग भी जिम्मेदार हैं क्योंकि इन दोनों ने कभी जाकर नहीं देखा की क्या इन जेलों में महिला कैदियों के लिए कोई उम्दा व्यवस्था है. जब यैसा नहीं किया तो फिर जबरिया इंसाफ दिलाने के धिन्दोरे पीटने से क्या मतलब? क्या है घटनाक्रम राज्य महिला आयोग ने महिला कैदी के बच्चों की मौत के मामले में केंद्रीय जेल जाकर मामले की जानकारी ली। जांच के दौरान मिले हुए बयान और प्रस्तुत किए साक्ष्य को देखने के बाद महिला आयोग ने भी माना कि अनुराधा के साथ न केवल पुलिस गार्ड ने बल्कि जेल प्रशासन ने क्रूरता की है। आयोग का मानना है कि यदि उसे समय पर चिकित्सा सुविधा मुहैया की जाती तो उसके दोनों बच्चों को बचाया जा सकता था। आयोग की सदस्य उपमा राय और कमला वाडिय...

पार्टी नहीं खुद का दम भी चलता है

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भोपाल.बार-बार ये बात सामने आती है की पार्टी बड़ी है या फिर व्यक्ति. लेकिन एक बार ये बात साबित हो गई की व्यक्ति का अपना कद होता है. आंध्र प्रदेश से कांग्रेस सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के बेटे जगनमोहन रे़ड्डी ने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ बगावत का झंडा उठा कर ye बात साबित कर दी. जिस प्रकार उनको जनता का समर्थन मिला है वह काबिले गौर है. हालाँकि इसमें एक दर ये भी है की कही जगमोहन का हश्र उमा भारती के जैसा न हो जाए. खैर कल के बारे में किसने सोचा है. जगमोहन ने सोनिया गांधी के मना करने के बावजूद अपने पूर्व तय कार्यक्रम के मुताबिक ही आठ जुलाई से श्रीकाकुलम से अपनी उदार्पू (दिलासा यात्रा) शुरू करने का फैसला किया है। जगनमोहन ने जनता के नाम सोमवार को लिखे अपने खुले पत्र में कहा है कि वह हर सूरत में . अपनी यात्रा शुरू करेंगे। उनका कहना है कि उसी दिन के पिता वाईएसआर का जन्मदिन है इसलिए यात्रा शुरू करने के लिए इससे अच्छा कोई और दिन नहीं हो सकता। जगन की इस यात्रा का जाहिर तौर पर उद्देश्य यह है कि वह उन परिवारों को दिलासा देना चाहते हैं जिनके सदस्यों की वाईएसआर की मौत की ...

सेवा करते हैं या फिर केवल आबादी बड़ा रहे हैं

भोपाल. एनजीओ नाम सुनते ही जेहन में सेवा शब्द कौंध जाता है, लेकिन जिस प्रकार से एनजीओ की संख्या बढ रही है उसकी अपेक्षा काम दिखाई नहीं दे रहा है. दैनिक भास्कर की एक खबर से ये कारण एकदम स्पष्ट हो जाता है. भारत में गैर सरकार, गैर लाभकारी संस्‍थाओं या एनजीओ की बाढ़ आई हुई है। यहां सक्रिय एनजीओ की संख्‍या दुनिया भर में सबसे ज्‍यादा है। एक सरकारी अध्‍ययन के मुताबिक 2009 तक इनकी संख्‍या 33 लाख थी। यानी प्रत्‍येक 400 से भी कम भारतीयों पर एक एनजीओ। यह संख्‍या वास्‍तविक संख्‍या से कहीं कम होगी, क्‍योंकि सरकारी अध्‍ययन में की गई गणना 2008 की ही है। साथ ही, इस गणना में केवल उन्‍हीं संगठनों को शामिल किया गया, जो सोसायटीज रजिस्‍ट्रेशन एक्‍ट, 1860 या फिर मुंबई पब्लिक ट्रस्‍ट एक्‍ट और इस तर्ज पर दूसरे राज्‍य में लागू काननू के तहत निबंधित हैं। जबकि एनजीओ का निबंधन कई कानूनों के तहत कराया जाता है। इमनें इंडियन ट्रस्‍ट एक्‍ट, 1882, पब्लिक ट्रस्‍ट एक्‍ट 1950, इंडियन कंपनीज एक्‍ट, 1956 (धारा 25), रिलीजियस एंडोमेंट एक्‍ट, 1863, चैरिटेबल एंड रिलीजीयस ट्रस्‍ट एक्‍ट, 1920, मुसलमान वक्‍फ एक्‍ट, 1923, वक्‍फ एक्‍...