Wednesday, October 30, 2013
Tuesday, October 29, 2013
Monday, October 28, 2013
और कितना गिरोगे भाई?
"ये वाकया तब का है जब जॉर्ज बुश भारत आया था। उसके स्वागत में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 40-50 लोगों को रात्रिभोज में बुलाया था। मुझे भी बुलावा आया था। मैं गया लेकिन छाती पर एक बैज लगाकर, उसपर लिखा था खून के बदले तेल नहीं मिलेगा। मेरे वहां ऐसे जाते ही प्रधानमंत्री ने जॉर्ज को कहीं और ले जाना चाहा लेकिन मैंने वहीं से जॉर्ज बुश की तरफ बोलते हुए डांटना शुरु कर दिया। ये देख कर जॉर्ज बुश थर्र-थर्र कांपने लगा। बुश को अभी किसी पत्रकार ने जूता मारा है, मैं तो ......." ये कहना है शाहिद सिद्दीकी का। सालों तक एसपी का दामन थामे बैठे शाहिद सिद्दीकी इस बार बिजनौर लोकसभा सीट से बीएसपी के उम्मीदवार हैं। वोटर्स को रिझाने के लिए नेता कितनी मूर्खतापूर्ण बातें कर सकते हैं इस घटना से साफ ज़ाहिर होता है। सिद्दीकी साहब ने ये बात बिजनौर में अपने संबोधन के दौरान कही। अब आप सोच रहे होंगे कि भला बिजनौर लोकसभा सीट में चुनाव प्रचार हो रहा है तो जॉर्ज बुश का इससे क्या सम्बन्ध? तो जनाब इसमें गहरा सम्बन्ध है। दरअसल सिद्दीका साहब को पता है कि जनता है चुनावी दावों और वादों पर यकीन करना छोड़ दिया है। ऐसे में उन्होंने एक ऐसा तीर छोड़ा जिससे मतदाता का दिल भी घायल हो जाए और विपक्ष के दिल में भी चुभन पैदा हो। इस चुनावी तीर को चुनाव प्रचार मैनुअल में ब्ह्रास्त्र कहते हैं। जी हां, किसी की धार्मिक भावना पर चोट करना। सिद्दीकी साहब बिजनौर में मुस्लिम बहुल इलाके में जनसभा को संबोधित कर रहे थे। अमेरिका के इराक और अफगानिस्तान पर हमला करने को सिद्दीकी भुनान चाहते थे। वो उपरोक्त घटना का जिक्र करके बिजनौर के मुसलमानों को बताना चाह रहे थे कि इराक और अफगानिस्तान के मुस्लिमों के साथ अन्याय करने वाले जॉर्ज को उन्होंने दिल्ली में अपमानित कर दिया। वाह री राजनीति, तू भी क्या-क्या करवाती है। खैर इतना ही होता तो बाद अलग थी। इसे एक चुटकी समझकर नज़रअंदाज़ किया जा सकता था। लेकिन इसके बाद सिद्दीकी ने वही राग छेड़ दिया जिसे आज हर कोई गा रहा है। सिद्दीकी ने मेरठ के दंगों और अक्टूबर 1990 में हुए बिजनौर के दंगों का जिक्र छेड़कर एक बार फिर जनता के ज़ख्मों को कुरेदा। साथ ही उन्होंने बिजनौर दंगों के लिए मुलायम सिंह यादव को जिम्मेदार ठहराया। लेकिन जाने क्यों सिद्दीकी साहब ये क्यों भूल गए कि वह खुद सालों तक मुलायम के साथ बने रहे हैं। फिर आज क्यो उनको एकाएक ये ध्यान हो आया? उन्होंने मुलायम-कल्याण पर लाशों के ढेर पर राजनीति करने का भी आरोप लगाया। यही नहीं उन्होंने वरुण गांधी के भड़काऊ भाषण के अंशों का इस्तेमाल किया। यानि पूरा भाषण मुद्दों पर कम भावनाओं पर चोट करने पर ज्यादा केंद्रित रहा। भले ही सिद्दीकी ने अपने तीर से जॉर्ज बुश को साध रखा हो लेकिन उनका असली निशाना वोटर ही है। यही वजह है कि अपने मुंह मियां मिट्ठु बनने से साथ ही उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति से साथ भारत के प्रधानमंत्री को भी अपने सामने बौना साबित कर दिया। क्यों नहीं ऐसे नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की जाती। कहां है देश की लाखों माओं का दर्द समझने वाली मायावती जिसे राहुल गांधी के भाषण के बाद तो तो रासुका लगाने की ज़रूरत पड़ती है लेकिन अपनी पार्टी के नेताओं के मुंह से निकलता ज़हर दिखाई नहीं देता। जिन-जिन बाहुबलियों को माया ने टिकट दिया है जाने आज तक वो कितनी मांओं की गोद सूनी कर चुके हैं।
विश्व पर्यावरण: खतरे के संकेत
विश्व पर्यावरण इतनी द्रुत गति के साथ क्षरित हो रहा है की आने वाले वर्षों में इस भयावह क्षरण को रोक पाना अत्यन्त कठिन होगा। विश्व के देशों में आबादी का बड़ी तेज़ी के साथ बड़ना भी प्रमुख कारण है। आबादी के बढने से पर्यावरण प्रदुषण बढता है एवं शान्ति व सुख चैन खतरे में पड़ जाते हैं। इसमे सर्वाधिक प्रभावित जैविक विविधता होती है। पेयजल के संसाधन बढती आबादी के घनत्व से प्रभावित होते हैं एवं उनमे छेड़छाड़ की प्रक्रिया से प्रदूषण बढता है।
आचार संहिता नहीं रोकती विकास कार्य
आचार संहिता के नाम पर अफसर और बाबू पब्लिक को बेवकूफ बनाते है। जबकि चुनाव आयोग द्वारा बनायी गई आदर्श आचार संहिता में कई बातें स्पष्ट हैं कि किसी भी हालत में विकास कार्य पर रोक न लगायी जाए। आम जनता से लेकर खास लोगों को भी मालूम नहीं है कि आचार संहिता में कौन से काम हो सकते हैं और कौन से काम नहीं। चूंकि मामला पूरा चुनाव से जुडा हुआ है इसलिए इस राजनीति के ब्लॉग पर हम आपको बता रहे हैं कि आदर्श आचार संहिता क्या है?
आचार संहिता लगते ही
आचार संहिता लगते ही देश के सभी प्रदेशों में सरकार और प्रशासन पर कई अंकुश लग गए। सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक निर्वाचन आयोग के कर्मचारी बन गए। वे आयोग के मातहत रहकर उसके दिशा-निर्देश पर काम करेंगे।मुख्यमंत्री या मंत्री अब न तो कोई घोषणा कर सकेंगे, न शिलान्यास, लोकार्पण या भूमिपूजन। सरकारी खर्च से ऐसा आयोजन नहीं होगा, जिससे किसी भी दल विशेष को लाभ पहुँचता हो। राजनीतिक दलों के आचरण और कार्यकलाप पर नजर रखने के लिए चुनाव आयोग पर्यवेक्षक होंगे ही। आचार संहिता के लागू होने पर क्या हो सकता है और क्या नहीं, इसके दिलचस्प पहलू एक नजर में।
ये हैं रोचक पहलू
1 कोई दल ऐसा काम न करे, जिससे जातियों और धार्मिक या भाषाई समुदायों के बीच मतभेद बढ़े या घृणा फैले।
2 राजनीतिक दलों की आलोचना कार्यक्रम व नीतियों तक सीमित हो, न ही व्यक्तिगत।* धार्मिक स्थानों का उपयोग चुनाव प्रचार के मंच के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।
3 मत पाने के लिए भ्रष्ट आचरण का उपयोग न करें। जैसे-रिश्वत देना, मतदाताओं को परेशान करना आदि।
4 किसी की अनुमति के बिना उसकी दीवार, अहाते या भूमि का उपयोग न करें।
5 किसी दल की सभा या जुलूस में बाधा न डालें।
6 राजनीतिक दल ऐसी कोई भी अपील जारी नहीं करेंगे, जिससे किसी की धार्मिक या जातीय भावनाएँ आहत होती हों।राजनीतिक सभा
7 सभा के स्थान व समय की पूर्व सूचना पुलिस अधिकारियों को दी जाए।
8 दल या अभ्यर्थी पहले ही सुनिश्चित कर लें कि जो स्थान उन्होंने चुना है, वहॉँ निषेधाज्ञा तो लागू नहीं है।
9 सभा स्थल में लाउडस्पीकर के उपयोग की अनुमति पहले प्राप्त करें।
10 सभा के आयोजक विघ्न डालने वालों से निपटने के लिए पुलिस की सहायता करें।
11 जुलूस का समय, शुरू होने का स्थान, मार्ग और समाप्ति का समय तय कर सूचना पुलिस को दें।
12 जुलूस का इंतजाम ऐसा हो, जिससे यातायात प्रभावित न हो।
13 राजनीतिक दलों का एक ही दिन, एक ही रास्ते से जुलूस निकालने का प्रस्ताव हो तो समय को लेकर पहले बात कर लें।
14 जुलूस सड़क के दायीं ओर से निकाला जाए।
15 जुलूस में ऐसी चीजों का प्रयोग न करें, जिनका दुरुपयोग उत्तेजना के क्षणों में हो सके।मतदान के दिन
16 अधिकृत कार्यकर्ताओं को बिल्ले या पहचान पत्र दें।
17 मतदाताओं को दी जाने वाली पर्ची सादे कागज पर हो और उसमें प्रतीक चिह्न, अभ्यर्थी या दल का नाम न हो।
18 मतदान के दिन और इसके 24 घंटे पहले किसी को शराब वितरित न की जाए।
19 मतदान केन्द्र के पास लगाए जाने वाले कैम्पों में भीड़ न लगाएँ।
20 कैम्प साधारण होना चाहिए।
21 मतदान के दिन वाहन चलाने पर उसका परमिट प्राप्त करें।सत्ताधारी दल
22 कार्यकलापों में शिकायत का मौका न दें।
23 मंत्री शासकीय दौरों के दौरान चुनाव प्रचार के कार्य न करें।
24 इस काम में शासकीय मशीनरी तथा कर्मचारियों का इस्तेमाल न करें।
25 सरकारी विमान और गाड़ियों का प्रयोग दल के हितों को बढ़ावा देने के लिए न हो।
26 हेलीपेड पर एकाधिकार न जताएँ।
27 विश्रामगृह, डाक-बंगले या सरकारी आवासों पर एकाधिकार नहीं हो।
28 इन स्थानों का प्रयोग प्रचार कार्यालय के लिए नहीं होगा।
29 सरकारी धन पर विज्ञापनों के जरिये उपलब्धियाँ नहीं गिनवाएँगे।
30 मंत्रियों के शासकीय भ्रमण पर उस स्थिति में गार्ड लगाई जाएगी जब वे सर्किट हाउस में ठहरे हों।* कैबिनेट की बैठक नहीं करेंगे।* स्थानांतरण तथा पदस्थापना के प्रकरण आयोग का पूर्व अनुमोदन जरूरी।ये नहीं करेंगे मुख्यमंत्री-मंत्री * शासकीय दौरा (अपवाद को छोड़कर)* विवेकाधीन निधि से अनुदान या स्वीकृति* परियोजना या योजना की आधारशिला* सड़क निर्माण या पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध कराने का आश्वासनअधिकारियों के लिए* शासकीय सेवक किसी भी अभ्यर्थी के निर्वाचन, मतदाता या गणना एजेंट नहीं बनेंगे।* मंत्री यदि दौरे के समय निजी आवास पर ठहरते हैं तो अधिकारी बुलाने पर भी वहॉँ नहीं जाएँगे।* चुनाव कार्य से जाने वाले मंत्रियों के साथ नहीं जाएँगे।* जिनकी ड्यूटी लगाई गई है, उन्हें छोड़कर सभा या अन्य राजनीतिक आयोजन में शामिल नहीं होंगे।* राजनीतिक दलों को सभा के लिए स्थान देते समय भेदभाव नहीं करेंगे।लाउडस्पीकर के प्रयोग पर प्रतिबंध : चुनाव की घोषणा हो जाने से परिणामों की घोषणा तक सभाओं और वाहनों में लगने वाले लाउडस्पीकर के उपयोग के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए गए हैं। इसके मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में सुबह 6 से रात 11 बजे तक और शहरी क्षेत्र में सुबह 6 से रात 10 बजे तक इनके उपयोग की अनुमति होगी।
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