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Showing posts from April, 2013

चीन की भड़काऊ पैंतरेबाजी का अर्थ?

चीन गजब का पैंतरेबाज मुल्क है। एक ओर वह भव्य और गरिमामय महाशक्ति का आचरण करते हुए दिखाई देना चाहता है और दूसरी ओर ओछी छेडख़ानियों से बाज नहीं आता। अभी 15 अप्रैल को उसकी फौज ने सीमांत के दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र में घुसकर अपने तंबू खड़े कर दिए हैं। वे नियंत्रण-रेखा के पार भारतीय सीमा में 10 किलोमीटर तक अंदर घुस आए हैं। लगभग ऐसा ही उन्होंने जून 1986 में सोमदोरोंग चू में किया था। वहां से उन्होंने 1995 में अपने आप वापसी करके भारत को प्रसन्न कर दिया था। वास्तव में भारत-चीन सीमा चार हजार किलोमीटर से भी ज्यादा लंबी है। उसमें जंगल, पहाड़, झरने, नदियां, झीलें तथा अनेक अबूझ क्षेत्र हैं। यह पता ही नहीं चलता कि कौन-सी जगह चीनी है और कौन-सी भारतीय? नियंत्रण-रेखा भी अनेक स्थानों पर अंदाज से ही जानी और मानी जाती है। ऐसी स्थिति में दोनों ओर से नियंत्रण-रेखा का उल्लंघन आसानी से होता रहता है। जानबूझकर भी होता ही होगा, लेकिन अक्सर दूसरे पक्ष को आपत्ति होने पर पहला पक्ष अपनी जगह वापस लौट जाता है लेकिन इस बार चीनी फौज पिछले 10-12 दिनों से भारतीय सीमा क्षेत्र में ऐसे जम गई है, जैसे कि वह सोमदोरोंग चू में जम...

गुजरात दंगे का सच

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गुजरात दंगे का सच आज जहा देखो वहा गुजरात के दंगो के बारे में ही सुनने और देखने को मिलता है फिर चाहे वो गूगल हो या फेसबुक हो या फिर टीवी चैनेल | रोज रोज नए खुलाशे हो रहे हैं | रोज गुजरात की सरकार को कटघरे में खड़ा किया जाता है| सबका निशाना क ेवल एक नरेन्द्र मोदी | जिसे देखो वो अपने को को जज दिखाता है| हर कोई सेकुलर के नाम पर एक ही स्वर में गुजरात दंगो की भर्त्सना करते हैं | कारसेवको को मारने के लिए ट्रेन को जलाने की कई दिनों से योजना बन रही थी- साबरमती ट्रेन हादसे में मौत की सजा प्राप्त अब्दुल रजाक कुरकुर के अमन गेस्टहाउस पर ही कारसेवको को जिन्दा जलाने की कई हप्तो से योजना बनी थी ... इसके गेस्टहाउस से कई पीपे पेट्रोल बरामद हुए थे | पेट्रोल पम्प के कर्मचारीयो ने भी कई मुसलमानों को महीने से पीपे में पेट्रोल खरीदने की बात कही थी और उन्हें पहचान परेड में पहचाना भी था .. पेट्रोल को सिगनल फालिया के पास और अमन गेस्टहाउस में जमा किया जाता था | गोधरा से तत्कालीन सहायक स्टेशन मास्टर के द्वारा वडोदरा मंडल ट्रेफिक कंट्रोलर को भेजी गयी गुप्त रिपोर्ट ::-  गोधरा के तत्कालीन सहायक ...

जब झरखेड़ा गांव का हर निवासी बन जाता है रामायण का पात्र

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जब पूरे देष में रामलीला अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है तब राजधानी से 25 किमी दूर जिले की सीमा पर बसे झरखेड़ा गांव में दो-दो रामलीला का मंचन चल रहा है। चैत्र नवरात के पहले दिन से दषहरे की दोपहर तक यहां रामलीला का मंचन किया जाता है और इसे देखने के लिए आसपास के लोग हजारांे की संख्या में यहां आते हैं। bhopal. ब्ुद्धिजीवियों की यह बात कि अब रामायण सरकारी आयोजनों तक सीमित रह गई है और टीवी, इंटरनेट, वीडियो गेम, फिल्में रामलीला जैसे सांस्कृतिक आयोजनों पर हावी हो गई है उसे झरखेड़ा गांव के लोग झुठलाते हैं। जहां अब एक रामलीला का मंचन करने के लिए सरकारी मदद के लिए ताकते हैं या चंदे की बाट जोहते हैं,  तब यहा के निवासी एक ही गांव में दो रामलीला करते हैं। सुखद बात यह है कि दोनांे रामलीला को लेकर पूरे गांव में कोई वैमनस्य नहीं है और एक दूसरे के सहयोग से दस दिन तक ये आयोजन चलता है। एक रामलीला गांव के बड़े राम मंदिर पर करते हैं और इसके मुखिया हैं कैलाष चंद्र पाटीदार।  वहीं दूसरी रामलीला होती है छोटे राम मंदिर पर और यहां के मुखिया हैं इमरत सिंह मेवाड़ा। कैलाष पाटीदार बताते है...