अठारहवें लोकसभा चुनाव के नतीजे अपने अंदर कई संदेशों को समेटे हुए है।
अठारहवें लोकसभा चुनाव के नतीजे अपने अंदर कई संदेशों को समेटे हुए है। पहला— पिछले कुछ वर्षों से विरोधी दल, विदेशी शक्ति और मीडिया के एक भाग द्वारा नैरेटिव गढ़ा जा रहा था कि देश की लोकतांत्रिक-संवैधानिक संस्था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘जेब’ में है— अर्थात् प्रजातंत्र समाप्त हो चुका है। ईवीएम और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगाकर देश को कलंकित किया जा रहा था। चुनाव परिणाम ने न केवल इस प्रकार के मिथकों को तोड़ दिया, साथ ही इसने भारत के जीवंत, बहुलतवादी, पंथनिरपेक्षी और स्वस्थ लोकतांत्रिक छवि को पुनर्स्थापित किया है। क्या प्रधानमंत्री मोदी का अंध-विरोध करने वाला वाम-जिहादी-सेकुलर समूह अपने इस वाहियात प्रलाप के लिए देश से माफी मांगेगा? दूसरा— प्रधानमंत्री मोदी ने इतिहास रचते हुए स्वतंत्र भारत में 1962 के बाद लगातार तीसरी बार सरकार बनाने का जनमत प्राप्त किया है। वर्ष 2014 से सत्ता में रहने के बाद भी भाजपा अपने बलबूते सर्वाधिक 36.5 प्रतिशत मतों के साथ 240 सीटें, तो उसके नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) 293 सीट लाने में सफल हुई है। पूरी ताकत झोंकने के बाद भी कांग्रेस ...