ये सिर्फ मोदी की जीत नहीं है, बल्कि वंशावली की भी हार है
एक बार फिर देश में मोदी-मोदी के नारे लग रहे थे। मोदी मैजिक चल गया था। एक्जिट पोल भी जीत ही गया। तमाम दावे हकीकत में बदल गए। लेकिन यह बदलाव हुआ कैसे। मई से लेकर अक्टूबर तक मोदी की आंधी ने सुनामी का रूप ले लिया है और वो जो कहते थे कि इस देश से कांग्रेस को खत्म करना है तो अब कुछ वैसा ही हो रहा है। लोकसभा चुनाव से लेकर अब कई बातें ऐसी हैं जो गौर करने लायक है। इनमें मोदी का काम करने वाला रुख जनता को बेहद पसंद आ रहा है। ऐसा भी नहीं है कि मोदी ने देश को बहुत ज्यादा बदल दिया है, लेकिन लोगों को यह अहसास दिला दिया है कि अब बदलाव हो रहा है। कल जब डीजल को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया तो कई लोगों ने कहा कि यह कदम महाराष्ट्र-हरियाणा चुनाव से पहले लेना चाहिए था। तब शायद इस चुनाव में ज्यादा फायदा मिलता है। लेकिन यदि वे ऐसा करते तो इस कम कीमत को चुनाव से जोड़कर देखा जाता। हालांकि कीमतें घटने की घटना का इस चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन एक महत्वपूर्ण बात जो कि तमाम बातों से अलग है कि मोदी ने अपने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान वंशवाद के खिलाफ नारा बुलंद किया है और इस कदम को आम जनता में बहुत ज्यादा...