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पॉकेटमार को बनना पड़ेगा हाईकेट, क्योंकि आ गया है डिजीटल वॉलेट

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भीमसिंह मीणा भोपाल भारत में नित नई तकनीक का प्रवेश हो रहा है और लोग भी इससे तेजी से जुड़ रहे हैं, क्योंकि आम भारतीय तकनीक से जुडऩे का फायदा जान चुका है। लेकिन अब पॉकेटमारों को भी आधुनिक होना पड़ेगा, क्योंकि अब पर्स (वॉलेट) जेब में नहीं रहेगा, क्योंकि वॉलेट डिजीटल हो गया है। कैसे आइए जानते हैं हाल ही में प्रकाशित डीबी स्टार के इस आर्टिकल से जो लिखा है शादाब शमी ने। भारत में सूचना प्रौद्योगिकि के जनक सैम पित्रोदा अब एक नई तकनीक से भारत को रूबरू कराने जा रहे हैं। यह तकनीक है धन को सुरक्षित लेने-देन की जिसे डिजिटल वॉलेट कहते हैं। आइए जानें इसके बारे में कुछ अहम जानकारियां। भारत में सूचना क्रांति के अगुवा सैम पित्रोदा ने कहा है कि मोबाइल फोन में डिजिटल वॉलेट की नई तकनीक से दुनियाभर के लोगों में पैसे के लेन-देन का तरीका बदल कर रख देगा। 1980 के दशक में कैसियो डिजिटल डायरी के खोजकर्ता पित्रोदा की कंपनी सी-सैम ने मोबाइल मनी ट्रांजिक्शन की तकनीक विकसित की है। यह आज के बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड, भुगतान और धन की अवधारणा को बदल कर रख देगी। उनकी नई खोज की व्याख्या उनकी किताब 'द मार्च ऑफ मोबाइल म...