Thursday, October 22, 2015

भारत सरकार का वस्त्र मंत्रालय कर रहा है कारीगरों के साथ धोखा

कारीगरों को उनका सामान बेचने का अवसर देने वाले हैंडीक्राफ्ट मेले फर्जी लोगों के अड्‌डे बनकर रह गए हैं। ताजा मामला है गौहर महल में चल रहे गांधी शिल्प बाजार का, जहां फर्जी आईडी कार्ड पर दुकानें आवंटित की गई और अफसर मौजूद होकर भी मौन साधे हैं।
भीम सिंह मीणा
गौहर महल में गांधी शिल्प बाजार मेला 16 अक्टूबर से प्रारंभ हुआ है, जो कि २५ अक्टूबर तक चलेगा। यह मेला मप्र हस्तशिल्प विकास निगम और भारत सरकार के डवलपमेंट कमिश्नर (प्लानिंंग)ऑफ हैंडीक्रॉफट यानी डीसीएच द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया है। लेकिन दुकानें आवंटित करने का अधिकार डीसीएच के अफसरों को ही है। डीबी स्टार को मंगलवार की शाम सूचना मिली कि यहां की दुकान नंबर 94 जिस व्यक्ति के नाम से अावंटित हुई है उसका आई कार्ड नकली है। तत्काल मौके पर पहुंचकर देखा और लोगों से बात की तो सही में एक ही नाम के दो आदमी सामने आए। जिस नाम के कार्ड को लेकर हो-हल्ला हुआ वह शुजा अब्बास आब्दी के नाम से डीसीएच ने ही वर्ष 2009 में जारी किया था। दरअसल जब डीबी स्टार मौके पर पहुुंचा तो तब तक काफी हंगामा हो चुका था, क्योंकि असली शुजा अब्बास आब्दी सामने आ गया और उसने नकली शुजा अब्बास आब्दी के कार्ड को अपने पास ले लिया। डीबी स्टार ने वे दोनों कार्ड देखे और पाया कि एक ही डिटेल वाले कार्ड पर फोटो अलग-अलग लगे हुए हैं। इसमें जो व्यक्ति असली शुजा अब्बास आब्दी होने का दावा कर रहा था उनसे बात करने पर एक अलग कहानी सामने निकलकर आई। बातचीत से पता चला कि उक्त कार्ड भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय द्वारा प्रत्येक कारीगर को जारी किया जाता था। इसी कार्ड से शिल्प या हैंडीक्रॉफ्ट मेलों में दुकानें आवंटित की जाती हैं। उक्त कार्ड छह साल पहले जारी किया, लेकिन इसके असली मालिक यानी को कुछ समय पहले मिला। आज जब असली शुजा ने स्वयं के नाम से दुकान नंबर 94 में एक व्यक्ति को बैठे पाया तो आपत्ति ली और मौके पर मौजूद अफसरों को भी बताया। लेकिन डीसीएच के असिस्टेंट डायरेक्टर संतोष कुमार ने इस मामले में कोई एक्शन नहीं लिया और न ही अन्य दुकानदारों से उनके आई कार्ड मांगकर जांच की। जब डीबी स्टार ने बात की तो गोलमोल जवाब देते रहे। इस पूरे मामले की जानकारी डवलपमेंट कमिश्नर प्लानिंग ऑफिस में दी तो तत्काल कार्यवाही करने का जवाब मिला।
देखते ही देखते बदल गया आदमी
हैंडीक्रॉफ्ट मेलों में किस कदर धांधली और मनमानी की जा रही है यह मामला उसकी एक बानगी है। मंगलवार रात में जब नकली शुजा अब्बासी पकड़ा गया तो तत्काल 94 नंबर की दुकान में अनिल कुमार लोधी नामक आदमी आकर बैठ गया। जबकि थोड़ी देर पहले तक वहां नकली शुजा अब्बासी बैठा हुआ था। इस बात को साबित करती है वह रिकॉर्डिंग जिसमें नकली शुजा अब्बासी स्वीकार कर रहा है कि वह नकली है। डीबी स्टार ने उस नकली शुजा अब्बासी को मेले में ही ढूंढ निकाला और बात की तो उसने किसी भी सवाल का कोई जवाब नहीं दिया। हैरत की बात तो यह है कि मौके पर मौजूद डवलपमेंट कमिश्नर के असिस्टेंट डायरेक्टर संतोष कुमार जानते-बूझते भी कार्यवाही करने को तैयार नहीं थे।
असली खेल यह है
इस बार गौहर महल में आयोजित शिल्प बाजार मेले में गौहर महल के अलावा पीछे पड़े मैदान में भी 100 दुकानें आवंटित की गई हैं। इन दुकानों को आवंटित करने के पहले सादा कागज पर एक आवेदन लिया जाता है। 16 अक्टूबर 2015 को भी जब दुकानें आवंटित हो रही थी तो डीबी स्टार टीम मौके पर थी। वहां देखा कि एक-एक करके लोगों को भीतर बुलाया जाता और दुकान दे दी जाती। आरोप है कि एक दुकान के लिए मोटा कमीशन अफसरों के दलालों द्वारा वसूला जाता है। शायद यही कारण है कि पूरे मेले में कौन सी दुकान किस व्यक्ति को आवंटित हुई है इसकी सूची तक नहीं लगाई जाती। चूंकि आधे से ज्यादा दुकानदार जुगाड़ से दुकानें लगाते हैं तो वे सब देखकर भी खामोश रहते हैं और जो असली कारीगर शिकायत भी करते हैं तो उस पर कार्यवाही नहीं की जाती है।

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