Monday, April 27, 2015

संगठन मजबूत करना है तो पद के प्रति निष्ठावान रहें

जब किसी संगठन का प्रमुख अपने पद के लिए निष्ठावान नहीं होता तो वह पूरे संगठन को जोखिम में डाल देता है। वह संगठन के विकास की राह में कांटा बन जाता है। जब अपने पद से जुड़ी जिम्मेदारियों के लिए वफादारी निभाएगा, तभी संगठन या संस्था (कंपनी) को प्रगति के पथ पर अग्रसर करने के योग्य हो सकेगा। उसे वह पद संभालने के बाद, संगठन के छोटे-मोटे मामलों या रोजमर्रा की परेशानियों पर केंद्रित नहीं रहना चाहिए। यदि वह ऐसा करता है तो वह संगठन का सबसे महंगा क्लर्क बन जाता है। इसके बजाय किसी संगठन प्रमुख व पदाधिकारी से अपेक्षा की जाती है कि वह अाने वाले कले के लिए एक नजरिया विकसित करे। दूसरों के साथ गठजोड़ व सहयोग आदि की चर्चा कर। संगठनात्मक संस्कृति तैयार करें, अपने से नीचे काम करने वालों को चुने, विविधता पर ध्यान दे और सबसे अहम बात यह है कि वह सभी तंत्रों को सुचारू रूप से गतिशील बनाए रखने पर ध्यान दे। उसका प्राथमिक उत्तरदायित्व यही बनता है कि वह संगठन को आने वाले कल के लिए तैयार रखे और आने वाला कल हमारे स्कूल शिक्षा पूर्ण करने वाले युवा साथी हैं।
-भीमसिंह सीहरा
पत्रकार, लेखक, ब्लॉगर एवं चिंतक
(नोट- यह मेरे निजी विचार हैं जो विभिन्न पुस्तकों के अध्ययन के बाद प्रकट कर रहा हूं। यदि अच्छे लगे तो इन्हें सभी लोगों तक पहुंचाने में सहयोग करें अन्यथा मिटा दें। कोई आपत्ति होने पर सीधे मेरे व्हाटस एप नंबर 9826020993 पर संदेश भेजें। यदि आप ऐसा करते हैं तो मैं आपका आभारी रहुंगा।)

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