Wednesday, February 16, 2011

Bhopal Ke Aouto
Baal Sampreshan grah bhopal
Bal sampreshan grah
Piplana thana ki jameen me comunity hall
Makhanlal chaturvedi patrkarita vishvvidyalay ka girls hostal
Makhanlal chaturvedi patrkarita vishvvidyalay ka girls hostal

Saturday, February 12, 2011

बातों से बगावत नहीं होती कभी
उठा पत्थर खड़े-खड़े हाथ क्यों मलता है

Friday, February 11, 2011

देह व्यापार के धंधे में धंसा देश

भगवान श्री राम की तपोभूमि और शेरशाह शूरी की कर्मभूमि ब्याघ्रसर यानी बक्सर (बिहार) के पास गंगा मैया की गोद में बसे गांव मझरिया की गलियों से निकलकर रोजगार की तलाश में जब मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल आया था तब मैंने सोचा भी नहीं था कि पत्रकारिता मेरी रणभूमि बनेगी। वर्ष 2002 में भोपाल में अपने दोनों छोटे भाईयों विनय और स्व.ब्रजेश (पूर्व रणजी खिलाड़ी) के भविष्य की खातिर यहां रूकना पड़ा। समय काटने की गरज से अपने एक व्यवसायी जानकार की सिफारिश पर मैंने दैनिक राष्ट्रीय हिन्दी मेल से पत्रकारिता जगत में प्रवेश किया। उसके बाद अन्य कई बड़े अखबारों में काम करने के आफर आए लेकिन स्वाभिमानी प्रवृति का होने के कारण मैं कहीं नहीं जा सका। वर्ष 2005 में जब सांध्य अग्रिबाण भोपाल से शुरू हुआ तो मैं उससे जुड़ गया तब से आज भी वहीं जमा हुआ हूं। 

Vinod Upadhyay

पिछले एक सप्ताह में हमें दो खबरे पढऩे को मिली। एक तो यह की जेएनयू में किस तरह सेक्स रैकेट का जाल फैल रहा है और दूसरी यह की उत्तर मध्य मुंबई की सांसद प्रिया दत्त ने मध्यप्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर यह कहकर एक नई बहस छेड़ दी है कि देह व्यापार को कानूनी मान्यता दे देना चाहिए। मुंबई के रेड लाइट एरिया की महिलाओं पर रिसर्च कर चुकीं प्रिया ने संवाददाताओं से चर्चा में कहा,'उन पर काम के दौरान मैंने महसूस किया कि हर महिला की अलग ही कहानी है। यह बहुत पुराना पेशा है,जिसे चाहकर भी नकारा नहीं जा सकता।' उन्होंने कहा कि 'बंद कमरों की अपनी दुनिया में हम इन महिलाओं को नजरअंदाज करते हैं। साथ ही उन्हें कई तरह के शोषण का शिकार होना पड़ता है। उनकी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए कानूनी मान्यता देना जरूरी है।'
अब सवाल यह उठता है कि किसको कानूनी मान्यता दी जाए। क्योंकि देश भर के रेड लाइट एरिया में जो देहव्यापार हो रहा है उसका कारण मजबूरी है और बिना कानूनी मान्यता के वर्षो से चल रहा है तथा चलता रहेगा। तो क्या फिर जो देहव्यापार जेएनयू या आलीशान होटलों और बंगलों में चल रहा उसको कानूनी मान्यता देनी चाहिए। भारत के कुछ राज्यों के कुछ क्षेत्रों में आज भी देहव्यापार भले ही एक छोटी आबादी के लिए रोजी रोटी का जरिया बना हुआ है लेकिन पिछले कुछ महिनों में जिस देहव्यापार के हाईप्रोफाइल मामले सामने आए हैं उससे यह बात तो साफ हो गई है कि देहव्यापार अब केवल मजबूरी न होकर धनवान बनने का एक हाईप्रोफाइल धंधा बन गया है। नेता,अभिनेता और धर्माचार्य भी इस धंधे को चला रहे हैं।
देहव्यापार दुनिया के पुराने धंधों में से एक है। बेबीलोन के मंदिरों से लेकर भारत के मंदिरों में देवदासी प्रथा वेश्यावृत्ति का आदिम रूप है। गुलाम व्यवस्था में उनके मालिक वेश्याएं पालते थे। अनेक गुलाम मालिकों ने वेश्यालय भी खोले। तब वेश्याएं संपदा और शक्ति की प्रतीक मानी जाती थीं। मुगलों के हरम में सैकड़ों औरतें रहती थीं। मुगलकाल के बाद, जब अंग्रेजों ने भारत पर अधिकार किया तो इस धंधे का स्वरूप बदलने लगा। इस समय राजाओं ने अंग्रेजों को खुश करने के लिए तवायफों को तोहफे के रूप में पेश किया जाता था। आधुनिक पूंजीवादी समाज में वेश्यावृत्ति के फलने-फूलने की मुख्य वजह सामाजिक तौर पर स्त्री का वस्तुकरण है। यह तो पूराने दौर की कहानी है, जहां आपको मजबूरी दिखती होगी।
पुराने वक्त के कोठों से निकल कर देह व्यापार का धंधा अब वेबसाइटों तक पहुंच गया है। इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी के मामले में पिछड़ी पुलिस के लिए इस नेटवर्क को भेदना खासा मेहनत वाला सबब बन गया है। सिर्फ सर्च इंजन पर अपनी जरूरत लिखकर सर्च करने से ऐसी दर्जनों साइट्स के लिंक मिल जाएंगे। कुछ वेबसाइटों पर लड़कियों की तस्वीरें भी दिखाई गई हैं। यहां कालेज छात्राएं, मॉडल्स और टीवी व फिल्मों की नायिकाएं तक उपलब्ध कराने के दावे किए गए हैं।
इस कारोबार में विदेशी लड़कियों के साथ मॉडल्स, कॉलेज गल्र्स और बहुत जल्दी ऊंची छलांग लगाने की मध्यमवर्गीय महत्वाकांक्षी लड़कियों की संख्या भी बढ़ रही है। अब दलालों की पहचान मुश्किल हो गई है। इनकी वेशभूषा, पहनावा व भाषा हाई प्रोफाइल है और उनका काम करने का ढंग पूरी तरह सुरक्षित है। यह न केवल विदेशों से कॉलगर्ल्स मंगाते हैं बल्कि बड़ी कंपनियों के मेहमानों के साथ कॉलगर्ल्स को विदेश की सैर भी कराते हैं। सेक्स एक बड़े कारोबार के रूप में परिवर्तित हो चुका है। इस कारोबार को चलाने के लिए बाकयादा ऑफिस खोले जा रहे हैं। इंटरनेट और मोबाइल पर आने वाली सूचनाओं के आधार पर कॉलगर्ल्स की बुकिंग होती है। ईमेल या मोबाइल पर ही ग्राहक को डिलीवरी का स्थान बता दिया जाता है। कॉलगर्ल्स को ठेके पर या फिर वेतन पर रखा जाता हैं।
भीमानंद, इच्छाधारी बाबा का चोला पहन कर देह व्यापार का धंधा करवाता था। उसके संपर्क में 600 लड़कियां थीं। इनमें से 50 लड़कियां केवल बाबा के लिए ही काम करती थी। लड़कियों के रेट का 40 फीसदी कमीशन बाबा अपने पास रखता था। बाबा ने अलग-अलग लड़कियों के अलग-अलग रेट रख रखे थे। मॉडल के लिए 50 हजार, स्टूडेंट के लिए 20 हजार और हाउसवाइफ के लिए 10 हजार। इन लड़कियों को देश भर में फैले बाबा के एजेंट लाते थे।
हाल ही में कई सेक्स रैकेट का खुलास हुआ है। इसमें दक्षिण भारत के बेंगलूरू और हैदराबाद में बड़े-बड़े रैकेट पकड़े गए हैं। बेंगलूरू के सेक्स रैकेट ने तो पूरे देश को हिला रखा है। एक पांच सितारा मशहूर होटल से दक्षिण भारतीय फिल्मों की अभिनेत्री यमुना के साथ दलाल सुमन और एक आईटी कंपनी के सीईओ वेणुगोपाल को गिरफ्तार किया गया था। जो शहर के तमाम बड़े होटलों में बड़ी-बड़ी पार्टियों के बहाने सेक्स रैकेट चलता था। जांच से पता चला है कि यमुना, सोची-समझी नीति के तहत करती थी, ताकि पकड़े जाने पर वह आपसी सहमति से सेक्स की दलील देकर खुद को रैकेट में शामिल होने के आरोप से बचा सके। यह रैकेट किसी कोठे पर नहीं थ्री स्टार और फाइव स्टार होटलों में ही चलता था। रैकेट में मजबूर नहीं ग्लैमरस महिलाएं शामिल हैं। बड़ी और नामी हिरोइन भी बड़े-बड़े अधिकारियों की 'सेवा' के लिए तैयार रहती हैं।
हैदराबाद में तेलुगू फिल्म अभिनेत्रियों सायरा बानू और च्योति के साथ सात अन्य लोगों को रंगे हाथ पकड़कर वेश्यावृत्ति से जुड़े एक गिरोह का भंडाफोड़ किया गया। कुंदन बाग के एक नजदीकी इलाके के एक अपार्टमेंट से कथित तौर पर सायरा और च्योति को उज्बेकिस्तान की एक महिला व उनके ग्राहकों के साथ गिरफ्तार किया गया। गिरोह में कुछ रईसों और जाने माने लोगों शामिल हैं।
हाल ही में गोवा में एक सेक्स रैकेट पकड़ा गया है। यहां के पाउला क्षेत्र से दो दलालों सहित चार नेपाली लड़कियों को पकड़ा गया। इन लड़कियों से जबरन देह व्यापार कराया जा रहा था। इनमें से एक लड़की नाबालिग थी। पुलिस के मुताबिक इस तरह के रैकेट आई टी के मशहूर बैंगलोर में भी काफी संख्या में हैं। फिलहाल पुलिस के पास पुख्ता सबूत नहीं है इसलिए वो कुछ भी कहने से बच रही है। 21 जनवरी को अहमदाबाद के इनकम टेक्स चार रस्ता के नजदीक कॉमर्शियल सेंटर में आने वाले होटल देव पैलेस से सेक्स रैकेट में शामिल एक भोजपूरी हिरोइन को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के दौरान केवल जवान और अय्याश ही नहीं बच्चे भी शामिल थे।
देश का ख्यातिनाम विश्वविद्यालय जेएनयू  या फिर देश का कोई अन्य कॉलेज वहां पढऩे वाली कई छात्राएं अपनी पढ़ाई का खर्च जुटाने के लिए देह व्यापार करती हैं। पिछले दस वर्षों में विद्यार्थियों में देह व्यापार तीन फ़ीसदी से बढ़कर 25 फ़ीसदी तक पहुंच गया है। कॉलेज में ट्यूशन फीस ज़्यादा होने के वजह से विद्यार्थियों को 'इंटरनेट पर अश्लील फिल्म', 'अश्लील बातें' और 'लैप डांस' जैसा काम करना पड़ता है। देश में कऱीब 5 फ़ीसदी विद्यार्थी एस्कोर्ट का काम करने के विकल्प को मान लेते हैं या विचार करते हैं। हाई प्रोफाइल सेक्सकर्मी को एस्कोर्ट कहा जाता है। वहीं, कई अमीर लड़कियां अपने महंगे शौक को पूरा करने के लिए भी धंधा करती हैं।
भारत में देहव्यापार के व्यवसाय में गोरी चमड़ी वाली विदेशी बालाओं का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है। इनमें खासकर सोवियत संघ से अलग हुए राष्ट्रों खूबसूरत और मस्त अदाओं वाली लड़कियां, जो पूरी तरह से देखने में आकर्षित लगती हैं, इस धंधे में भाग ले रही है। एक अनुमान के मुताबिक पाटनगर दिल्ली में मौजूदा समय में 3000 विदेशी लड़कियां मौजूद हैं। यहां पर लड़कियां अपने खूबसूरत चेहरे के दम पर अच्छा-खासा पैसा कमा रही हैं। इन लड़कियों का मकसद एकदम साफ है। भारत में अपना शरीर बेचने के बाद लड़कियां अपने वतन वापस जाकर घर बनाती है, कुछ परिवार को पैसा भेजती रहती है। जांच में पता चला कि इन लड़कियों को भारत लाने के लिए व्यवस्थित नेटवर्क बना हुआ है। उपरोक्त राष्ट्रों की अनेक आंटियां काफी समय से दिल्ली में स्थायी रुप से निवास कर चुकी हैं। इन आंटियों का भारत में वेश्या दलालों के साथ गठबंधन है। विदेश से आती गोरी युवतियों का संपूर्ण संचालन ये आंटियां ही करती हैं साथ ही देशी दलाल और ग्राहक ढूढ़कर कमीशन भी बनाती है। देह व्यापार का यह धंधा सिर्फ दिल्ली और मुंबई में ही नहीं चलता बल्कि पूरे भारत में यह धंधा जोर पकड़ चुका है। देहव्यापार करके कई तरह के शौख पूरा करना इन गोरी लड़कियों का पेशा बन गया है। लड़कियां प्लेजर ट्रीप्स, बिजनेस मीट्स, कॉर्पोरेट इवेंट्स, फंक्शन और डिन डेट्स के लिए भी उपलब्ध होती हैं। कई लड़कियां तो नाइट क्लबों में वेटर्स या बेले डांसर का रुप धारण कर धंधे के लिए तैयार हो जाती हैं।
हिंदुस्तानी पुरुषों को अब सांवली या फिर खूबसूरत वेश्या या कॉलगर्ल में रस नहीं रह गया है। अब भारतीय पुरुष गोरी बालाओं के दीवाने हो गए हैं। इसके लिए वे अच्छा-खासा पैसा खर्च करने के लिए तैयार भी हो जाते हैं। रशियन लड़कियों का मिनिमम चार्ज दो हजार से 8 हजार रुपया है। अधिकतम चार्ज की कोई सीमा नहीं है। लड़कियों के पीछे काफी पैसा खर्च करके ग्राहकों से मोटी रकम वसूल की जाती है। अमीर और अधिकारी वर्ग के लोगों में गोरी त्वचा वाली विदेशी लड़कियों का क्रेज चल रहा है। यहां पर पहले तो नेपाली लड़कियों की ज्यादा डिमांड थी। भारतीय युवतियों की अपेक्षा नेपाली लड़कियों की कीमत 40 फीसदी ज्यादा थी लेकिन अब जमाना रशियन लड़कियों का है। देहव्यापार के धंधे में शामिल एक भारतीय लड़की का कहना है कि रशियन लड़की अपने शरीर को पूरी तरह से ग्राहक के हवाले कर देती हैं लेकिन हम ऐसा नहीं कर पाते।
भारत में देहव्यापार का धंधा लगातार बढ़ रहा है। 1956 में पीटा कानून के तहत वेश्यावृत्ति को कानूनी वैद्यता दी गई, पर 1986 में इसमें संशोधन करके कई शर्तें जोड़ी गई। इसके तहत सार्वजनिक सेक्स को अपराध माना गया। इसमें सजा का भी प्रावधान है। वूमेन एंड चाइल्ड डेवलेपमेंट मिनिस्ट्री ने 2007  में एक रिपोर्ट दिया, इसके मुताबिक, 30  लाख औरतें देहव्यापार का धंधा करती हैं। इममें 36 फीसदी तो नाबालिग हैं। अकेले मुंबई में 2 लाख सेक्स वर्कर का परिवार रहता है, जो पूरे मध्य एशिया में सबसे बड़ा है।

विस्फोट डॉट कॉम पर एक आर्टिकल पड़ा। इस आर्टिकल को पढऩे के बाद काफी सारी जानकारियां थी जो महत्वपूर्ण थीं। चूंकि विषय इतना प्रिय था कि कोई भी पढऩा चाहे। इसलिए मैंने इस आर्टिकल को विस्फोट से लेकर अपने ब्लॉग पर डाल लिया।
धन्यवाद विस्फोट डॉट कॉम