Saturday, July 16, 2011
Friday, May 13, 2011
भारतीय पुलिस सेवा के नौ अधिकारी प्रशिक्षण पर
भारतीय पुलिस सेवा के नौ वरिष्ठ अधिकारी आगामी दिनों भारतीय पुलिस अकादमी हैदराबाद तथा ब्रिटेन में आयोजित विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल होंगेंे। यह अधिकारी 16 मई से 24 जून, 2011राष्ट्रीय पुलिस अकादमी, हैदराबाद तथा 27 जून से 8 जुलाई, 2011तक ब्रिटेन(यू.के.) में आयोजित मिड कैरियर ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लेंगें। इन अधिकारियों की प्रशिक्षण अवधि में उनके कार्य-दायित्वों के संपादन के लिये गृह विभाग द्वारा विभिन्न अधिकारियों को निर्देशित किया गया है ।
गृह विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार श्री उपेन्द्र कुमार जैन, पुलिस महानिरीक्षक, उज्जैन रेंज उज्जैन की प्रशिक्षण अवधि में श्री डी.एस.सेंगर, पुलिस महानिरीक्षक बिसबल,इंदौर, श्री आदर्श कटियार, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक,भोपाल की प्रशिक्षण अवधि में श्री योगेश चौधरी, पुलिस अधीक्षक,भोपाल, श्री डी.श्रीनिवास राव,वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, इंदौर की प्रशिक्षण अवधि में श्री पवन श्रीवास्तव, पुलिस उप महानिरीक्षक, इंदौर रेंज, इंदौर, श्री जी.जनार्दन, पुलिस उप महानिरीक्षक, खरगोन रेंज,खरगोन की प्रशिक्षण अवधि में श्री एम.के.मुद्गल, पुलिस उप महानिरीक्षक,अपराध अनुसंधान विभाग पुलिस मुख्यालय,भोपाल, श्री के.पी.खरे, पुलिस उप महानिरीक्षक रीवा रेंज,रीवा की प्रशिक्षण अवधि में श्री उमेश जोगा, पुलिस अधीक्षक, रीवा, सुश्री सोनाली मिश्रा, पुलिस उप महानिरीक्षक, जबलपुर रेंज,जबलपुर की प्रशिक्षण अवधि में श्री संतोष कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक, जबलपुर, श्री राजाबाबू सिंह, पुलिस उप महानिरीक्षक,शहडोल रेंज, शहडोल की प्रशिक्षण अवधि में श्री सुधीर लाड, पुलिस अधीक्षक, शहडोल, श्री डी.पी.गुप्ता, पुलिस उपमहानिरीक्षक चंबल रेंज, मुरैना की प्रशिक्षण अवधि में श्री संजय कुमार, पुलिस अधीक्षक,मुरैना और डाँ मंयक जैन, पुलिस उप महानिरीक्षक उज्जैन रेंज,उज्जैन की प्रशिक्षण अवधि में श्री सतीश कुमार सक्सेना, पुलिस अधीक्षक, उज्जैन संबंधित दायित्वों का निर्वहन करेंगें ।
मजदूरी के लिए मजबूर हाथ बने काष्ठ शिल्पी
सफलता की कहानी
मजदूरी करना ही उनकी नियति है। श्योपुर जिले के ग्राम आवदा के आदिवासी युवकों ने यही मान लिया था। पर यह सच नहीं था। उनका भविष्य तो कहीं और था। बस उन्हें आवश्यकता थी एक अवसर की क्योंकि मजदूरी वाले हाथों में छुपा हुआ था एक हुनर जिसकी पहचान की पहल हुई गाँव की चौपाल में।
ग्रामीण आजीविका परियोजना का उद्देश्य भी यही है कि वह गाँवों में युवकों सहित उन सभी लोगों की मदद करे, जो हुनरमंद हैं। उन्हें रोजगार का स्थायी साधन मिले, यही इस योजना की मंशा है। श्योपुर जिले के विकासखण्ड कराहल का वन ग्राम आवदा आदिवासी बहुल गाँव है। यहाँ के युवक मजदूरी कर अपना जीवन-यापन करते थे। दिसम्बर, 2010 में रोज की तरह गाँव की चौपाल पर जब आदिवासी युवक मजदूरी के लिये एकत्रित हुए तो वहाँ दस्तक दी ग्रामीण आजीविका परियोजना की नफीसा बानो ने। उन्होंने संभावनापूर्ण आदिवासी युवकों के हाथों में हुनर देख उन्हें प्रोत्साहित किया लकड़ी के खिलौने बनाने के लिये।
मजदूर हाथों में छुपे हुनर को जब अवसर मिला तो उन्होंने वह कर दिखाया जो उन्होंने खुद भी कभी नहीं सोचा था। आदिवासी युवाओं ने परियोजना के जरिये मजदूरी के स्थान पर अधिक आय अर्जित करने के लिये लकड़ी से बने खिलौनों व अन्य उपयोगी घरेलू सामग्री बनाने का निर्णय लिया। साथ ही श्योपुर परियोजना की अपेक्स संस्था के माध्यम से आदिवासी युवाओं ने काष्ठ-कला से खिलौने बनाने के लिये दो स्व-सहायता समूह बनाए। इन दोनों समूहों में 18-18 व्यक्ति शामिल किये गए। इन सभी को काष्ठ-कला में प्रशिक्षण दिया गया।
प्रशिक्षण के बाद समूहों को स्वयं की कार्यशाला स्थापित करने के लिये परियोजना की मदद से ग्रामसभा के माध्यम से 64-64 हजार रुपये के ऋण उपलब्ध करवाये गये। इस राशि से इन समूहों ने मशीन, औजार खरीदे और शेड निर्माण कर दो यूनिट की स्थापना की। इन दोनों यूनिट के प्रत्येक शेड में 3-3 मशीनें लगायी गईं।
वर्तमान में समूह के लोग लकड़ी के खिलौने, चकला-बेलन, बच्चों के खेलने की गाड़ी, फ्लावर पॉट, अगरबत्ती स्टैण्ड तथा चारपाई के पाहें आदि बना रहे हैं। हाल ही में इन दोनों समूहों को बुधनी जिले से पाँच हजार बेलन बनाने का आर्डर प्राप्त हुआ है। काष्ठ शिल्प के हुनर से खिलौने बनाकर दोनों समूह अब 72 हजार रुपये प्रतिमाह कमा रहे हैं।
sabhar-http://www.mpinfo.org
Thursday, May 12, 2011
मप्र पुलिस ने समस्या तो बता दी, समाधान बताना भूल गए
bhopal court ke paas Advoket bhi kharid rahe hain ghatiya gudvatta vale halmet. |
भोपाल। मप्र की राजधानी भोपाल में इन दिनों पुलिस द्वारा हेलमेट मुहिम चलाई जा रही है। इस मुहिम के तहत हेलमेट नहीं पहनने वाले से 50 रुपए का चालान काटा जा रहा है। यहां तक तो सब ठीक है, लेकिन परेशानी वाली बात यह है कि इस चालान कटवाने के बाद जब व्यक्ति थोड़ा आगे जाता है तो उसके मन में एकमात्र भावना होती है हेलमेट खरीदने की। उसे अचानक फुटपाथ पर चलती हुई हेलमेट की दुकान मिल भी जाती है। जैसे ही चालान का मारा आदमी हेलमेट खरीदने पहुंचता है तो उसे घटिया गुणवत्ता वाला आईएसआई मार्क के बिना हेलमेट मिलता है। उसका भी दाम 500 रुपए बताया जाता है। जब ग्राहक बार्गनिंग करता है तो दुकानदार 300 से 350 रुपए में हेलमेट देने के लिए तैयार हो जाता है। ऐसा पहली बार देख रहे हैं जब दुकानदार अपनी मर्जी से आम आदमी को कोई घटिया सामान बेच रहा है और ग्राहक हाथ जोड़कर उस माल को खरीदने के लिए मजबूर है। यह सब हो रहा है पुलिस की बदइंतजामी के कारण। पुलिस ने चालान काटना तो शुरू कर दिया, लेकिन आम आदमी को यह नहीं बताया जा रहा है कि वह सही हेलमेट कहां से खरीदे? इस पर भी अगर कोई सवाल करे तो उसे आंखे दिखाई जाती है।
Asli, nakli helmet. |
Jahan mili jagah vahi gaye Jam. |
Ek sahi helmet ki pahchan |
Bhopal me rajbhavan ke paas police cheking |
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