Thursday, November 19, 2009

आओ बनाये नकली स्वर्णिम मध्यप्रदेश?????

भोपाल। मध्य प्रदेश में भ्रम की स्थिति है की हम क्या वाकई स्वर्णिम मध्य प्रदेश के सपने को साकार होते देख रहे हैं या मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का भाषण का शानदार हिस्सा है। बहरहाल ये बहस मुझे नही करीं है, क्योंकि भोपाल टीवी जगत के पत्रकार काशीनाथ ने स्वर्णिम मध्य प्रदेश की हकीकत की सही पोल बहुत अच्छे ढंग से दखल पर खोली है।
मध्य प्रदेश को स्वर्णिम प्रदेश बनाना है, इसके वासियों में मध्य प्रदेशी होने का गर्व पैदा करना है, हमारे प्रदेश का एक अपना गीत होगा, अकेले सरकार नहीं जनता को भी प्रदेश की तरक्की से जोडेंगे ये वो बातें हैं जो हमने एक नवम्बर को भोपाल के मोती लाल नेहरु स्टेडियम में मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस के कार्य क्रम में सुनी थी और बड़े ही गर्व के साथ हमारे सूबे के सूबेदार शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल सहित पूरे प्रदेश में इस तरह के आयोजन में मौजूद हर प्रदेश वासी को एक शपथ भी राज्यपाल के जरिये दिलाई थी। उसी दिन ये भी कहा गया की इस साल स्थापना दिवस का जलसा एक दिन नहीं पूरे सात दिन चलेगा और जनता को अपना प्रदेश की भावना से ओत प्रोत करके ही दम लिया जायेगा. ये जलसा चल पड़ा पहले दिन की शाम को भोपाल के रविन्द्र भवन के मुक्ताकाशी मंच पर गीतकार शान ने अपना जलवा बिखेर दिया. रॉक एंड डांस और झूमते युवाओं की टोलियों से लगा की अपना मध्य प्रदेश स्वर्णिम बन रहा है. अलग अलग जिलों और संभागों में विकास की तमाम चर्चाएँ भी चलती रही. लोगों में एक भाव आया भी की अपना प्रदेश है और इसकी तरक्की में हम सब जुट जाएँ तो बड़ी मुश्किल भी आसान हो जायेगी. फिर सरकार साथ है तो काम भी शुरु होगा. ६वे दिन की बात है सूबेदार शिवराज सिंह जी सूबे के एक जिले सतना आये विन्ध्य इलाके का ये जिला उद्योग खासकर सीमेंट उद्योग के लिए प्रसिद्ध भी है. सतना में मौका था गरीब उत्थान सम्मलेन का तमाम गरीब इकठ्ठा थे उनको लग रहा था की प्रदेश को स्वर्णिम बनाने का महाभियान चल रहा है.राजा आये है तो आज तो गरीब नहीं गरीबी हटाने की कोई मुहिम या बात होगी जादू का पिटारा भले ही ना खुले जादू की छड़ी तो दिखेगी जो नया रास्ता दिखाएगी हुआ भी कुछ ऐसा ही हमारे शिवराज जी ने हुंकार भरी और कहा की अब ये नहीं चलेगा की जमीन हमारी, खनिज हमारा, प्रदेश हमारा और उद्योग लगाने वाले हमारे मध्य प्रदेशी को रोजगार ना देकर बिहारी या और दुसरे प्रदेश के लोगों को रोजगार दें. यहाँ उद्योग लगोगे तो रोजगार भी यहाँ के लोगों को देना होगा. जनता खुश, सभी को लगा की हमारे मध्य प्रदेश की नई चाल चरित्र और चेहरा होगा. गरीबी भी दूर होगी और रोजगार भी मिलेगा. आज शिव ने अपना रौद्र रूप दिखा दिया है अब जो आड़े आएगा वो भस्म हो जायेगा. शिव की जनता को के हक पर अब कोई डाका नहीं डाल पायेगा. जनता खुश की चलो पहली बार किसी ने अपने प्रदेश वासी होने का एहसास कराया है. बात बड़ी थी और दमदार भी. सो सबकी नजर में आ गई. वाकई ये पहला मौका था जब मध्य प्रदेश में बड़ी चर्चा बनी और लगा की किसी ने ये बीडा उठाया है.( सही या गलत की बहस अभी नहीं करना चाहते और बहस भी लम्बी है. इसको आगे चलाया भी जा सकता है. और मुंबई की घटना के बाद तो और भी जरुरी है.)शिव के शब्द बाण कैमरा ने पकड़ लिए और इस मामले ने दुसरे दिन यानि ७ नवम्बर (स्थापना दिवस सप्ताह का आखरी दिन) को सुबह से टीवी चेनल्स पर हंगामा खडा हो गया. पहला स्लग चला " शिव चले राज की चाल" चेनल्स ने शिवराज सिंह की तुलना राज ठाकरे से करते हुए खबर को उठा दिया. हम पत्रकारों को भी ख़ुशी की चलो आज प्रदेश की खबर और मुख्यमंत्री हर चेनल की हेड लाइन है. खूब चेट और फोनों होने लगे पत्रकार साथी भी बढ़ चढ़ कर हांकने लगे. सरकार सकते में ये क्या हो रहा है. बिहार के नेता भी बाईट देने लगे पक्ष और विपक्ष दोनों तरह की प्रतिक्रिया आने लगी कुल जमा एक तेज हलचल का दिन. लेकिन तभी दोपहर के तीन बजे प्रदेश के ही दुसरे जिले इंदौर में ये क्या हमारे शिवराज जी ने कहा की मेरा कहने का आशय ये नहीं था मध्य प्रदेश के दरवाजे सभी के लिए खुले है. यानि ठीक २४ घंटे के अन्दर मुख्यमंत्री ने अपना कहा पलट दिया. लो अब क्या करोगे चेनल वाले चुप सबको लगा था अच्छा मसाला मिला खूब खेलेंगे. शाम को प्राइम टाइम में भी चेट करेंगे और खेलेंगे. कभी कभी तो मौका आता है जब मध्य प्रदेश से कोई खबर इतनी बिकती है. मुख्यमंत्री ने जो कहा उसको बदल दिया और बात बीत गई. खैर मैं भी मानता हूँ की किसी भाषा, प्रदेश, जाति, बोली और मजहब के नाम पर या का सहारा लेकर किसी भी तरह के विकास की बात संविधान के खिलाफ तो है ही भारत की बहुरंगी बसाहट, जिन्दगी, रिवाज, तासीर के भी खिलाफ है. लेकिन फिर भी मैंने सोचा ये बात तो शिव ने कही थी आम तौर पर ये माना जाता है की शिव ने जो भी कहा या वरदान दिया, उससे वो वापस नहीं हुए फिर चाहे श्रीराम की विरूद्व रावन का मामला हो या भस्मासुर का. शिव ने कह दिया तो कह दिया जो होगा देखेंगे. लेकिन हमारे शिव तो २४ घंटे में ही रण छोड़ कर अलग हो गए. वो तो रण छोड़ निकले. अब जनता परेशान की अपना प्रदेश क्या बनेगा. हुंकार भर कर राजा ही पीछे हो जाये तो प्रजा की क्या बिसात. फिर लगा की इतना भावुक होने की जरुरत नहीं नहीं है. प्रदेश के असली वारिस या बाशिंदे आदिवासी हैं जो अब भी फटेहाल ही हैं उनकी बात तो हो नहीं रही थी, आदिवासी को ये भी मालूम है की स्वर्णिम प्रदेश तो तब था जब उनका राज था और ये बावन गढ़ओ का सूबा हुआ करता था. आज तो इस पर बाहर से आये और दो और तीन पीढी पहले बसे लोगों का प्रदेश है अब स्वर्णिम भी बना तो आदिवासी तक पहुँच पायेगा इसकी उम्मीद भी उसको कम ही है. कोई रण छोडे तो कोई बात नहीं लेकिन मैं तो अपने प्रदेश को स्वर्णिम ही देखना चाहता हूँ और जो बन पड़ेगा करूँगा भी क्यूंकि में सियासतदा तो नहीं इस सूबे का आम आदमी हूँ मेरे कहने और करने में अदला बदली की गुंजाइश कम ही है. मैं दम से कहता हूँ जय मध्य प्रदेश सब आओ मिल कर बनाओ स्वर्णिम और देश.

1 comment:

Anonymous said...

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